भगवान की कृपा ही तो है । आध्यात्मिक कहानी । Spiritual Stories in Hindi
एक राजा था। उसका मंत्री भगवान का भक्त था। कोई भी बात होती तो वह यही कहता कि भगवान की बड़ी कृपा हो गई। एक दिन राजा के बेटे की मृत्यु हो गई। मृत्यु का समाचार सुनते ही मंत्री बोल उठा- “भगवान की बड़ी कृपा हो गई।” यह बात राजा को बहुत बुरी लगी, पर वह चुप रहा। कुछ दिनों बाद राजा की पत्नी की भी मृत्यु हो गई। मंत्री ने कहा- “भगवान की बड़ी कृपा हो गई।” इस बार भी राजा को गुस्सा आया मगर चुप रहे।
एक दिन राजा के पास एक नई तलवार बन कर आई राजा तलवार की धार की जांच कर रहे थे कि उनकी अंगुली कट गई। मंत्री पास में ही खड़ा था। उसने फिर भी वही बात दोहराई। अब राजा के भीतर जमा गुस्सा बाहर निकला और उसने तुरंत मंत्री को राज्य से बाहर निकल जाने का आदेश दिया और कहा कि मेरे राज्य में अन्न जल ग्रहण मत करना। मंत्री बोला- “भगवान की बड़ी कृपा हो गई।” मंत्री अपने घर पर भी नहीं गया, साथ में कोई वस्तु भी नहीं ली और राज्य के बाहर निकल गया।
कुछ दिनों बाद राजा अपने साथियों के साथ शिकार खेलने के लिए जंगल में गए। वहां जंगल में डाकुओं का एक दल था। उस दिन काली देवी को एक मनुष्य की बलि देनी थी। संयोग से डाकू ने राजा को देख लिया और उन्हें पकड़ कर ले गए। बलि देने से पहले डाकुओं के पुरोहित ने राजा से पूछा- “तुम्हारा बेटा जीवित है।” राजा बोला- “नहीं वह मर गया।” पुरोहित ने कहा कि इसका तो हृदय जला हुआ है। पुरोहित ने फिर पूछा- “तुम्हारी पत्नी जीवित है।” राजा बोला, “वह भी मर चुकी है।” पुरोहित ने कहा कि यह तो आधे अंग का है। अतः बलि देने योग्य नहीं है। परंतु हो सकता है कि यह मरने के भय से झूठ बोल रहा हो। पुरोहित ने राजा के शरीर जांच की, तो देखा कि उसकी एक उंगली कटी हुई है। पुरोहित बोला, “अरे! इसका तो अंग-भंग है। बलि के योग्य नहीं है। अतः इसे छोड़ दो।”
इस तरह डाकुओं ने राजा को छोड़ दिया। राजा ने नगर लौटते ही अपने आदमियों को आज्ञा दी कि हमारा मंत्री जहां भी हो, उसको तुरंत वापस लाओ। क्योंकि राजा को उसकी बात समझ में आ गई थी कि जो कुछ होता है भले के लिए ही तो होता है।
स्रोत:- आदर्श कहानियों से